Sunday, July 27, 2014

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मीर तक़ी मीर और मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़लों, अश'आर और रुबाइयों का संकलन  (कार्य प्रगति पर है)

उर्दू के कुछ अक्षर देवनागरी में नहीं हैं, उनको पढ़ने और उच्चारण की विधि इस प्रकार है:

इज़ाफ़त (-ए-)

जुंबिश-ए-लब = जुंबिशे-लब

'अत्फ़ (-ओ-)

अदा-ओ-नाज़ = अदाओ-नाज़

ऐन (')

'आशिक़
'इश्क़
म्`

छोटी हे (:)

दीद: = दीदा
दीद:-ए = दीदए
दीद-ओ = दीदओ

This blog is a compilation of interpretations of Mir and Ghalib's poetry, which I have learnt from the commentaries of many Masters, websites, Youtube videos and Facebook groups. These channels of knowledge have helped me explore my love for poetry, and hence I wish to share some key ones below:

Youtube videos:
Ghalib ka Takhayyul: http://www.youtube.com/watch?v=6wMaZSP2lkU
Ghalib ki Ma'ni Aafreeni: http://www.youtube.com/watch?v=1T_6Tcohm-E
Mir taqi mir: http://www.youtube.com/watch?v=ceI1tAUABK8
Sabk-e-hind: http://www.youtube.com/watch?v=almrPXMjPMQ
why ghalib speaks to me: http://www.youtube.com/watch?v=Y37fSNMZWVo

Website: http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ghalib/ghazal_index.html

Facebook group: https://www.facebook.com/groups/2257813856

Books:
ग़ालिब के पत्र (दो भागों में) - श्रीराम शर्मा और श्रीरामनिवास शर्मा
ग़ालिब और उनका युग - पवन कुमार वर्मा
ग़ालिब अपने पत्रों के आइने में - डॉ कीर्ति केसर
यादगार-ए-ग़ालिब - मौलाना अल्ताफ़ हुसैन 'हाली'
दीवान ए ग़ालिब - अली सरदार ज़ाफ़री
ग़ालिब उग्र - पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र'
दीवान-ए-ग़ालिब - नसीम अब्बासी
ग़ालिब - रामनाथ 'सुमन'
दीवान ए मीर - अली सरदार ज़ाफ़री
मीर  - रामनाथ 'सुमन'
The Lightning Should Have Fallen on Ghalib: Selected Poems - Translator Robert Bly and Sunil Dutta


अनुवादित ग़ज़लें 

मीर तक़ी 'मीर' (1723 to 20-Sep-1810) 




  • -0007-उलटी हो गई सब तदबीरें
  • -0071-राह-ए-दौर-ए-'इश्क़ में
  • -0485-हस्ती अपनी हुबाब की सी है
  • -0560-जिन जिन को था
  • -0605-फ़कीराना आए सदा कर चले
  • -0617-उम्र भर हम रहे शराबी से
  • -1111-शेर के पर्दे में
  • -1117-ज़ख्म झेले दाग़ भी खाए बहुत
  • -1504-चलते हो तो चमन को चलिये


  • मिर्ज़ा ग़ालिब (27-Dec-1797 to 15-Feb-1869)

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